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डॉ भीमराव अम्बेडकर के साहित्य के साथ गर्मियों की छुट्टियाँ बिताएं
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डॉ भीमराव अम्बेडकर के साहित्य के साथ गर्मियों की छुट्टियाँ बिताएं
किसी भी देश का अर्थ होता है वहाँ का समाज और डॉ भीमराव अम्बेडकर के कार्य, उनका जीवन और उनका साहित्य जरुरी है भारत के समाज को समझने के लिए। प्रत्येक वर्ष आप गर्मियों की छुट्टियाँ किसी न किसी रूप में बिताते हैं। मुझे याद है कि मैं बचपन में अपनी माँ की बुआ के घर हापुड़ रहने गया था। वहाँ मैं और मेरी मौसी कॉमिक बुक्स पढ़ते थे। तप्ति गर्मी में मैं साईकल पर जा कर कॉमिक पुस्तकें लेकर आता था और उन्हें पढ़ता था। बहुत सी छुट्टियों में मैं अपने शहर से बाहर घूमने भी गया और बहुत सी छुटियों में मैं पुस्तकों की दुकान लगाया करता था। परन्तु एक बात का अफ़सोस जो मुझे बड़े होने पर हुआ वह यह था कि मेरा महत्वपूर्ण समय व्यर्थ हुआ और हमारे बड़े हमें सही प्रकार कोई दिशा नहीं दिखा पाए। सबसे ज्यादा अफ़सोस मुझे इस बात का है कि मुझे डॉ भीमराव अम्बेडकर के साहित्य का बहुत देरी से पता चला। शायद इसका कारण यह है कि घर में और रिश्तेदारों में लोगों के सरकारी नौकरी में होने पर भी उनमें साहित्य को लेकर न ही तो कोई विशेष रूचि ही थी और न ही समझ। साहित्य में अरुचि का एक कारण यह भी है कि हिंदी साहित्य जो भारतियों द्वारा लिखा गया उसमें कहीं-न-कहीं खोखलापन भी है, क्योंकि उसमें साहित्यकार के चिंतन से ज्यादा कहीं-न-कहीं इस बात का विशेष महत्त्व है कि साहित्य अवार्ड पाने के लिए या ग्रांट के लिए लिखा गया। इसलिए मेरे जैसे अनेक भारतियों को हिंदी का सही साहित्य नहीं मिल पाया और न ही उन्हें सही दिशा ही मिल पाई।
एक लेखक समाज को नई दिशा देता है। वह रूढ़ियों को तोड़ता है। वह कमजोर का सहारा बन कर अपनी कलम से उसका युद्ध लड़ता है। वह आनेवाली पीढ़ी के लिए ऐसे संसार की रचना करता है जो सुखदायी हो। वह आनेवाली पीढ़ी के दिमागों को ऐसे तैयार करता है कि वह अपना एक सुन्दर संसार बसा सकें। एक लेखक एक पिता और माता होता है जो पाठक को अपनी संतान के सामान प्रेम करनेवाला होता है। एक लेखक निःस्वार्थ होता है। एक लेखक एक दार्शनिक, विचारक, नेता, वैज्ञानिक और भविष्यवक्ता होता है। एक लेखक समस्त विश्व का आंकलन करता है और उसकी कमियों को उजागर करके सही मार्ग बताता है। उसका लेखन किसी भी रूप में प्रकट हो सकता है, चाहे वैज्ञानिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यावसायिक या ऐतिहासिक। परन्तु सभी प्रकारों में उसकी भावना वही होती है जो कि ऊपर प्रकट की गई है। और ऐसी भावना की कमी एक खोखला लेखन प्रस्तुत करती है। परन्तु डॉ भीमराव अम्बेडकर के लेखन में न केवल यह सभी गुण हैं बल्कि ऐसे अनेक गुण जिनका आंकलन लगा पाना मुश्किल है।
ज़रा सोचिए कि आखिर बाबा साहिब डॉ भीमराम अम्बेडकर को चालीस के दशक में "व्हाट काँग्रेस एंड गांधी हॅव डॉन टू द अनटचेबल्स?" (काँग्रेस और गांधी ने अछूतों के लिए क्या किया?) पुस्तक लिखने की क्या आवश्यकता थी? क्या वह पुस्तक मात्र राजनैतिक कारणों के लिखे गई होगी? क्या लोगों ने कभी यह सोचा होगा कि अगले सत्तर वर्ष भारत पर काँग्रेस का शासन चलेगा? क्या 'राउंड टेबल कांफ्रेंस' (गोलमेज सम्मलेन) में अछूतों को अधिकार मिलने के बाद भी किसी ने यह सोचा होगा कि सतर वर्षों के बाद भी उन पर इस प्रकार अत्याचार होंगे कि कहीं उनकी महिलाओं को मात्र इसलिए निर्वस्त्र करके घुमाया जाएगा क्योंकि उनके परिवार के एक युवक ने हिन्दुओं की किसी ऊँची जात की कहलानेवाली जाती की एक युवती से विवाह किया अथवा यह किसी ने सोचा होगा कि अछूतों को हिन्दुओं की ऊँची जातिया ट्रेक्टर के नीचे कुचल कर मारेगी? नहीं। यह शायद किसी ने नहीं बल्कि डॉ भीमराव अम्बेडकर ने जरूर सोचा होगा। उन्हें पता था कि भविष्य में काँग्रेस किसी सांप की तरह भारत को जकड़ लेगी और हिन्दू धर्म में अछूतों (अनुसूचित जाती के लोगों) पर अत्याचार नहीं रुकेंगे। चूँकि काँग्रेस कुछ और नहीं बल्कि ब्राह्मणों की ही पार्टी का एक नाम है, इसीलिए बाबा साहिब ने अपनी आनेवाली संतानों को इस पार्टी का इतिहास और इसकी मंशा बताने के लिए यह पुस्तक लिखी। यह पुस्तक न केवल आज के अछूतों, बल्कि प्रत्येक भारतीय को पढ़नी चाहिए क्योकि हमारा भविष्य राजनैतिक पार्टियों के हाथों में ही है।
इसी प्रकार डॉ भीमराव अम्बेडकर ने अपनी अन्य पुस्तकों की रचनाएँ की। उनके भाषण और लेख समाज को ऐसी नई दिशा देनेवाले हैं जिस पर आज का भारत टिका है। आज का भारत टिका है तो केवल इसी सिद्धांत पर कि भारत में जात-पात में बंटा समाज कितना एकजुट होता है। हमारी एकजुटता ही हमें मजबूत बनाती है। और यह एकजुटता न हिन्दू धर्म में ही है और न ही इस्लाम या अन्य धर्मों में। धर्म भारत को तोड़ते है। भारत के लोगों को जरुरत है डॉ अम्बेडकर जैसा सामाजिक वैज्ञानिक बनाने की जो कि समाज का विश्लेषण कर उसकी समस्याओं को उसी प्रकार समझता और हल करता है जैसा कि एक वैज्ञानिक अथवा डॉक्टर। और यह दृष्टिकोण लोगों में पैदा करता है उनका साहित्य।
तो आप भी यह सोचिए कि आप और आपका परिवार गर्मियों की छुट्टियां कैसे बितानेवाले हैं? घूमना-फिरना भी जीवन का एक अभिन्न अंग है परन्तु यदि आप समय पढ़ने में लगाना चाहते हैं तो यह बात सोचें कि आपको उसकी जरुरत क्यों है और आप किस प्रकार का साहित्य पढ़ें। डॉ अम्बेडकर के लेखन के साथ-साथ उनके जीवन और कार्यों पर भी बहुत सी अच्छी पुस्तके हैं जो कि उनके जीवन और कार्यों के बारे में विस्तार से बताती हैं।
डॉ भीमराम अम्बेडकर के क़दमों पर चल कर बहुत से लेखकों ने अपनी कृतियों की रचनाएँ की जो कि समाज और राजनीती के साथ धर्म को भी एक नए दृष्टिकोण से देखते हैं। हो सकता हो कि किसी को लगे कि आखिर उसे यह सब पढ़ने की क्या आवश्यकता है? परन्तु यह सब पढ़ना जरुरी है क्योंकि हम सब ही समाज, धर्म और राजनीती के बीच फंसे हैं और जब तक हम इनको नहीं समझते इनसे बहार नहीं निकल सकते और एक सुन्दर भविष्य की रचना नहीं कर सकते। इसी क्रम में डॉ अम्बेडकर के बौद्ध धम्म को अपनाने के पश्चात न केवल लाखों लोग ही बौद्ध बने बल्कि कई लेखकों ने नए सिरे से भारत के इस धम्म को देखना शुरू किया जिसने कि विश्व के एक बड़े भू-भाग को प्रकाशमान किया। उन लेखकों ने न केवल पाली के ग्रंथों का अध्यन्न करके तिपिटक साहित्य को हिंदी में अनुवादित ही किया बल्कि बौद्ध धम्म पर भी अनेक नई कृतियाँ रची जो कि अध्यात्म से लेकर सामाजिक संरचना तक को समझाती है। इतने विशाल साहित्य के साथ आज एक और साहित्य जुड़ गया है और वह है व्यवसाय और निवेश की शिक्षा देनेवाला साहित्य जो कि पिछड़े और शोषित समाज को धन बनाने और बढ़ाने की शिक्षा देता है। ज़रा सोचिए कि यदि आपमें बचपन से ही व्यवसाय और निवेश की शिक्षा के गुण आ जाएं तो आप कैसे धन पर काबू पा सकते हैं।
तो इस प्रकार आप यह निश्चय करें कि आप घूमने-फिरने के साथ-साथ कैसे अपने समय का सदुपयोग करनेवाले हैं। यदि आप डॉ अम्बेडकर का और अन्य साहित्य पढ़ना चाहें तो नीचे आपको इसका विवरण मिल जाएगा। आप न केवल आज हैं बल्कि आनेवाली पीढ़ी का कल हैं। यह निश्चय करें कि आपको आनेवाले पीढ़ी का कल कैसा बनाना हैं ? आपको किस समाज की और किस संसार की रचना करनी है। क्योंकि यदि आप ने अपनी पीढ़ी का ध्यान नहीं रखा तो आपका ही भविष्य कोई और आने हिसाब से चलाएगा। इसलिए जरुरत के कि कल के लिए आज से ही तैयार होने की। कल के समाज का आज से ही निर्माण करने की। आनेवाली पीढ़ी को सही प्रकार तैयार करने की।
- निखिल सबलानिया
फुले-डॉ आंबेडकर, दलित, पिछड़ा वर्ग, आदिवासी और बौद्ध धम्म पुस्तक भंडार / Phule-Dr. Ambedkar, Dalit, OBC, आदिवासियों and Buddhist Book's Store https://www.facebook.com/nikhil.sablania/posts/10212710681390668
हमारी वेबसाइट पर आॅर्डर कर सकते हैं www.nspmart.com
या संपर्क करें : मो. 8851188170, WA 8447913116.
एक लेखक समाज को नई दिशा देता है। वह रूढ़ियों को तोड़ता है। वह कमजोर का सहारा बन कर अपनी कलम से उसका युद्ध लड़ता है। वह आनेवाली पीढ़ी के लिए ऐसे संसार की रचना करता है जो सुखदायी हो। वह आनेवाली पीढ़ी के दिमागों को ऐसे तैयार करता है कि वह अपना एक सुन्दर संसार बसा सकें। एक लेखक एक पिता और माता होता है जो पाठक को अपनी संतान के सामान प्रेम करनेवाला होता है। एक लेखक निःस्वार्थ होता है। एक लेखक एक दार्शनिक, विचारक, नेता, वैज्ञानिक और भविष्यवक्ता होता है। एक लेखक समस्त विश्व का आंकलन करता है और उसकी कमियों को उजागर करके सही मार्ग बताता है। उसका लेखन किसी भी रूप में प्रकट हो सकता है, चाहे वैज्ञानिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यावसायिक या ऐतिहासिक। परन्तु सभी प्रकारों में उसकी भावना वही होती है जो कि ऊपर प्रकट की गई है। और ऐसी भावना की कमी एक खोखला लेखन प्रस्तुत करती है। परन्तु डॉ भीमराव अम्बेडकर के लेखन में न केवल यह सभी गुण हैं बल्कि ऐसे अनेक गुण जिनका आंकलन लगा पाना मुश्किल है।
ज़रा सोचिए कि आखिर बाबा साहिब डॉ भीमराम अम्बेडकर को चालीस के दशक में "व्हाट काँग्रेस एंड गांधी हॅव डॉन टू द अनटचेबल्स?" (काँग्रेस और गांधी ने अछूतों के लिए क्या किया?) पुस्तक लिखने की क्या आवश्यकता थी? क्या वह पुस्तक मात्र राजनैतिक कारणों के लिखे गई होगी? क्या लोगों ने कभी यह सोचा होगा कि अगले सत्तर वर्ष भारत पर काँग्रेस का शासन चलेगा? क्या 'राउंड टेबल कांफ्रेंस' (गोलमेज सम्मलेन) में अछूतों को अधिकार मिलने के बाद भी किसी ने यह सोचा होगा कि सतर वर्षों के बाद भी उन पर इस प्रकार अत्याचार होंगे कि कहीं उनकी महिलाओं को मात्र इसलिए निर्वस्त्र करके घुमाया जाएगा क्योंकि उनके परिवार के एक युवक ने हिन्दुओं की किसी ऊँची जात की कहलानेवाली जाती की एक युवती से विवाह किया अथवा यह किसी ने सोचा होगा कि अछूतों को हिन्दुओं की ऊँची जातिया ट्रेक्टर के नीचे कुचल कर मारेगी? नहीं। यह शायद किसी ने नहीं बल्कि डॉ भीमराव अम्बेडकर ने जरूर सोचा होगा। उन्हें पता था कि भविष्य में काँग्रेस किसी सांप की तरह भारत को जकड़ लेगी और हिन्दू धर्म में अछूतों (अनुसूचित जाती के लोगों) पर अत्याचार नहीं रुकेंगे। चूँकि काँग्रेस कुछ और नहीं बल्कि ब्राह्मणों की ही पार्टी का एक नाम है, इसीलिए बाबा साहिब ने अपनी आनेवाली संतानों को इस पार्टी का इतिहास और इसकी मंशा बताने के लिए यह पुस्तक लिखी। यह पुस्तक न केवल आज के अछूतों, बल्कि प्रत्येक भारतीय को पढ़नी चाहिए क्योकि हमारा भविष्य राजनैतिक पार्टियों के हाथों में ही है।
इसी प्रकार डॉ भीमराव अम्बेडकर ने अपनी अन्य पुस्तकों की रचनाएँ की। उनके भाषण और लेख समाज को ऐसी नई दिशा देनेवाले हैं जिस पर आज का भारत टिका है। आज का भारत टिका है तो केवल इसी सिद्धांत पर कि भारत में जात-पात में बंटा समाज कितना एकजुट होता है। हमारी एकजुटता ही हमें मजबूत बनाती है। और यह एकजुटता न हिन्दू धर्म में ही है और न ही इस्लाम या अन्य धर्मों में। धर्म भारत को तोड़ते है। भारत के लोगों को जरुरत है डॉ अम्बेडकर जैसा सामाजिक वैज्ञानिक बनाने की जो कि समाज का विश्लेषण कर उसकी समस्याओं को उसी प्रकार समझता और हल करता है जैसा कि एक वैज्ञानिक अथवा डॉक्टर। और यह दृष्टिकोण लोगों में पैदा करता है उनका साहित्य।
तो आप भी यह सोचिए कि आप और आपका परिवार गर्मियों की छुट्टियां कैसे बितानेवाले हैं? घूमना-फिरना भी जीवन का एक अभिन्न अंग है परन्तु यदि आप समय पढ़ने में लगाना चाहते हैं तो यह बात सोचें कि आपको उसकी जरुरत क्यों है और आप किस प्रकार का साहित्य पढ़ें। डॉ अम्बेडकर के लेखन के साथ-साथ उनके जीवन और कार्यों पर भी बहुत सी अच्छी पुस्तके हैं जो कि उनके जीवन और कार्यों के बारे में विस्तार से बताती हैं।
डॉ भीमराम अम्बेडकर के क़दमों पर चल कर बहुत से लेखकों ने अपनी कृतियों की रचनाएँ की जो कि समाज और राजनीती के साथ धर्म को भी एक नए दृष्टिकोण से देखते हैं। हो सकता हो कि किसी को लगे कि आखिर उसे यह सब पढ़ने की क्या आवश्यकता है? परन्तु यह सब पढ़ना जरुरी है क्योंकि हम सब ही समाज, धर्म और राजनीती के बीच फंसे हैं और जब तक हम इनको नहीं समझते इनसे बहार नहीं निकल सकते और एक सुन्दर भविष्य की रचना नहीं कर सकते। इसी क्रम में डॉ अम्बेडकर के बौद्ध धम्म को अपनाने के पश्चात न केवल लाखों लोग ही बौद्ध बने बल्कि कई लेखकों ने नए सिरे से भारत के इस धम्म को देखना शुरू किया जिसने कि विश्व के एक बड़े भू-भाग को प्रकाशमान किया। उन लेखकों ने न केवल पाली के ग्रंथों का अध्यन्न करके तिपिटक साहित्य को हिंदी में अनुवादित ही किया बल्कि बौद्ध धम्म पर भी अनेक नई कृतियाँ रची जो कि अध्यात्म से लेकर सामाजिक संरचना तक को समझाती है। इतने विशाल साहित्य के साथ आज एक और साहित्य जुड़ गया है और वह है व्यवसाय और निवेश की शिक्षा देनेवाला साहित्य जो कि पिछड़े और शोषित समाज को धन बनाने और बढ़ाने की शिक्षा देता है। ज़रा सोचिए कि यदि आपमें बचपन से ही व्यवसाय और निवेश की शिक्षा के गुण आ जाएं तो आप कैसे धन पर काबू पा सकते हैं।
तो इस प्रकार आप यह निश्चय करें कि आप घूमने-फिरने के साथ-साथ कैसे अपने समय का सदुपयोग करनेवाले हैं। यदि आप डॉ अम्बेडकर का और अन्य साहित्य पढ़ना चाहें तो नीचे आपको इसका विवरण मिल जाएगा। आप न केवल आज हैं बल्कि आनेवाली पीढ़ी का कल हैं। यह निश्चय करें कि आपको आनेवाले पीढ़ी का कल कैसा बनाना हैं ? आपको किस समाज की और किस संसार की रचना करनी है। क्योंकि यदि आप ने अपनी पीढ़ी का ध्यान नहीं रखा तो आपका ही भविष्य कोई और आने हिसाब से चलाएगा। इसलिए जरुरत के कि कल के लिए आज से ही तैयार होने की। कल के समाज का आज से ही निर्माण करने की। आनेवाली पीढ़ी को सही प्रकार तैयार करने की।
- निखिल सबलानिया
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