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आनेवाली पीढ़ी के लिए जरुरी है डॉ भीमराव अम्बेडकर को पढ़ना
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आनेवाली पीढ़ी के लिए जरुरी है डॉ भीमराव अम्बेडकर को पढ़ना
डॉ अम्बेडकर की लेखनी न केवल समाज को एक कर सकती है, जाती और धर्म के भेद भी मिटा सकती है, धर्म का मानव जीवन में अनावश्यक प्रभाव काम कर सकती है, बल्कि एक ऐसी वैज्ञानिक दृष्टि पैदा कर सकती है जो भारतवासियों को सही राह दिखा सकते हैं।
यदि स्कूलों से विज्ञान, गणित व अंग्रेजी की पुस्तकें हटा दी जाए तो क्या होगा ? सीधा जवाब है कि इन ज्ञान के क्षेत्रों में मानव का विकास रुक जाएगा। फिर न कोई वैज्ञानिकी विकास होगा और न भाषायी विकास होने से किसी दूसरी सभ्यता का ज्ञान प्राप्त हो पाएगा। ऐसे ही जरुरी है सही सामाजिक और राजनैतिक शिक्षा।
यह अफ़सोस है कि स्कूलों में पढ़ाई जानेवाली सामाजिक और राजनैतिक शिक्षा केवल कांग्रेस पार्टी द्वारा बनाई गई पुस्तकों पर आधारित है। और अब भारतीय जनता पार्टी भी अपने ढंग से इतिहास, धर्म और समाज रचने का प्रयास कर रही है जिसका सीधा प्रभाव अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। एक तरफ जहाँ कांग्रेस ने विदेशी आक्रमणकारियों और शोषकों के इतिहास को ही सुनहरे शब्दों में बताया वहीं भारतीय जनता पार्टी तो भारत के भीतर ही शोषण करने वाले समाज को इतिहास के सुनहरे अक्षरों में लिखने चली है।
ऐसी परिस्थिति में भारत के वह बहुसंख्यक शोषित, पिछड़े, दलित और आदिवासी समाज के असली इतिहास और उसकी सामाजिक समस्याओं के इतिहास को दोनों पार्टियों की तरफ से न केवल अनदेखा ही कर दिया जा रहा है बल्कि उसे इस प्रकार बदलने का प्रयास भी किया जा रहा है कि मानो यह बड़ा भारतीय समाज कोई मूर्ख सामान है।
भारत में आज दोनों शोषणकर्ताओं की स्थिति मजबूत है। एक वह जो दो हजार साल से जातिवाद के नाम पर भारत में ही रह कर शोषण कर रहे हैं और दूसरे वह विदेशी जो भारत को अपनी ज़मीन मान कर अपने बाप-दादाओं की मल्कियत मानते हैं जो उनके बाप-दादाओं ने जंगों में फतह की। ऐसे में यह दोनों पक्ष दुशमनी का दिखावा करते हैं पर दोनों ही हर प्रकार से मजबूत है और भारत के शोषित, दलित, आदिवासी तबके को दरकिनार करते हैं फिर चाहे वह किसी ही धर्म से ही क्यों न हो।
ऐसे में भारत की राजनीती और यहाँ के समाज, धर्म और अर्थव्यवस्था का वैज्ञानिक विश्लेषण करते हैं डॉ अम्बेडकर के लेख, उनकी पुस्तकें और उनके भाषण आदि। साथ ही उनका जीवन प्रत्येक भारतीय को, चाहे वह किसी भी धर्म या जाती का हो, यह सिखाते हैं कि उसे पहले इंसान बनाना है और फिर किसी धर्म को देखना है और जातिवादी मानसिकता से बाहर आ कर देश को, मानव समाज को और मानव विकास को और प्रगतिशील बनाना है। बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर के विचार न केवल बीते कल में ही आवश्यक थे बल्कि वह आनेवाले कल में भी बहुत आवश्यक होनेवाले हैं क्योंकि आज भी भारत और भारत के लोग, चाहे किसी भी धर्म से हो, जातिवादी मानसिकता से न केवल सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक रूप से जकड़े हुए हैं, बल्कि इस दुर्गुण की वजह से हम एक समाज न होकर अनेक ऐसी टुकड़ियों में बंटे हैं जो अपने-अपने निजी स्वार्थों के लिए संघर्ष कर रहे हैं पर यह नहीं देख पा रहे कि हम आज इतने पिछड़ गए हैं कि हमारा वह पड़ोसी राष्ट्र चीन जो हमसे दो वर्ष बाद छिन्न-भिन्न हालत में एक गरीब राष्ट्र के रूप में जन्मा, आज हमें आँखे दिखा कर अपना विस्तार हर प्रकाश से कर रहा है और आज हमारे रूपये की हालत यह है कि ब्रिटेन का एक पौंड सौ रुपयों का होने जा रहा है।
डॉ अम्बेडकर की लेखनी न केवल समाज को एक कर सकती है, जाती और धर्म के भेद भी मिटा सकती है, धर्म का मानव जीवन में अनावश्यक प्रभाव काम कर सकती है, बल्कि एक ऐसी वैज्ञानिक दृष्टि पैदा कर सकती है जो भारतवासियों को सही राह दिखा सकते हैं। बहुत काम भारतवासी यह जानते होंगे कि बाबासाहेब डॉ अम्बेडकर एक महान अर्थशास्त्री भी थे और साथ ही एक महान समाज शास्त्री और राजनैतिज्ञ। आज उनकी पुस्तकें व उनके लेख यूरोप के विश्वविधालयों में बहुत प्रचलित हो गए हैं और कई देशों के समाजशास्त्रियों एवं राजनीति शास्त्रियों के साथ अर्थशास्त्रियों ने भी बाबासाहेब के कार्यों पर अध्यन्न किया है।
तो आप भी सही ज्ञान लीजिए और, जैसे जीवन में रहने के लिए पत्थरों की मजबूत और सुरक्षित इमारत बनाते हैं वैसे ही आनेवाली पीढ़ी के लिए सही ज्ञान की सही, मजबूत और सशक्त इमारत खड़ी करें। - निखिल सबलानिया
डॉ भीमराव अम्बेडकर की लिखी पुस्तकें, भाषण, लेख व उनके जीवन और कार्यों पर 49 पुस्तकें ऑनलाईन आर्डर करें Ya Call Kare: 8527533051. Rs. 7000.
http://www.cfmedia.in/drambedkarki49pustake7000यदि स्कूलों से विज्ञान, गणित व अंग्रेजी की पुस्तकें हटा दी जाए तो क्या होगा ? सीधा जवाब है कि इन ज्ञान के क्षेत्रों में मानव का विकास रुक जाएगा। फिर न कोई वैज्ञानिकी विकास होगा और न भाषायी विकास होने से किसी दूसरी सभ्यता का ज्ञान प्राप्त हो पाएगा। ऐसे ही जरुरी है सही सामाजिक और राजनैतिक शिक्षा।
यह अफ़सोस है कि स्कूलों में पढ़ाई जानेवाली सामाजिक और राजनैतिक शिक्षा केवल कांग्रेस पार्टी द्वारा बनाई गई पुस्तकों पर आधारित है। और अब भारतीय जनता पार्टी भी अपने ढंग से इतिहास, धर्म और समाज रचने का प्रयास कर रही है जिसका सीधा प्रभाव अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। एक तरफ जहाँ कांग्रेस ने विदेशी आक्रमणकारियों और शोषकों के इतिहास को ही सुनहरे शब्दों में बताया वहीं भारतीय जनता पार्टी तो भारत के भीतर ही शोषण करने वाले समाज को इतिहास के सुनहरे अक्षरों में लिखने चली है।
ऐसी परिस्थिति में भारत के वह बहुसंख्यक शोषित, पिछड़े, दलित और आदिवासी समाज के असली इतिहास और उसकी सामाजिक समस्याओं के इतिहास को दोनों पार्टियों की तरफ से न केवल अनदेखा ही कर दिया जा रहा है बल्कि उसे इस प्रकार बदलने का प्रयास भी किया जा रहा है कि मानो यह बड़ा भारतीय समाज कोई मूर्ख सामान है।
भारत में आज दोनों शोषणकर्ताओं की स्थिति मजबूत है। एक वह जो दो हजार साल से जातिवाद के नाम पर भारत में ही रह कर शोषण कर रहे हैं और दूसरे वह विदेशी जो भारत को अपनी ज़मीन मान कर अपने बाप-दादाओं की मल्कियत मानते हैं जो उनके बाप-दादाओं ने जंगों में फतह की। ऐसे में यह दोनों पक्ष दुशमनी का दिखावा करते हैं पर दोनों ही हर प्रकार से मजबूत है और भारत के शोषित, दलित, आदिवासी तबके को दरकिनार करते हैं फिर चाहे वह किसी ही धर्म से ही क्यों न हो।
ऐसे में भारत की राजनीती और यहाँ के समाज, धर्म और अर्थव्यवस्था का वैज्ञानिक विश्लेषण करते हैं डॉ अम्बेडकर के लेख, उनकी पुस्तकें और उनके भाषण आदि। साथ ही उनका जीवन प्रत्येक भारतीय को, चाहे वह किसी भी धर्म या जाती का हो, यह सिखाते हैं कि उसे पहले इंसान बनाना है और फिर किसी धर्म को देखना है और जातिवादी मानसिकता से बाहर आ कर देश को, मानव समाज को और मानव विकास को और प्रगतिशील बनाना है। बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर के विचार न केवल बीते कल में ही आवश्यक थे बल्कि वह आनेवाले कल में भी बहुत आवश्यक होनेवाले हैं क्योंकि आज भी भारत और भारत के लोग, चाहे किसी भी धर्म से हो, जातिवादी मानसिकता से न केवल सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक रूप से जकड़े हुए हैं, बल्कि इस दुर्गुण की वजह से हम एक समाज न होकर अनेक ऐसी टुकड़ियों में बंटे हैं जो अपने-अपने निजी स्वार्थों के लिए संघर्ष कर रहे हैं पर यह नहीं देख पा रहे कि हम आज इतने पिछड़ गए हैं कि हमारा वह पड़ोसी राष्ट्र चीन जो हमसे दो वर्ष बाद छिन्न-भिन्न हालत में एक गरीब राष्ट्र के रूप में जन्मा, आज हमें आँखे दिखा कर अपना विस्तार हर प्रकाश से कर रहा है और आज हमारे रूपये की हालत यह है कि ब्रिटेन का एक पौंड सौ रुपयों का होने जा रहा है।
डॉ अम्बेडकर की लेखनी न केवल समाज को एक कर सकती है, जाती और धर्म के भेद भी मिटा सकती है, धर्म का मानव जीवन में अनावश्यक प्रभाव काम कर सकती है, बल्कि एक ऐसी वैज्ञानिक दृष्टि पैदा कर सकती है जो भारतवासियों को सही राह दिखा सकते हैं। बहुत काम भारतवासी यह जानते होंगे कि बाबासाहेब डॉ अम्बेडकर एक महान अर्थशास्त्री भी थे और साथ ही एक महान समाज शास्त्री और राजनैतिज्ञ। आज उनकी पुस्तकें व उनके लेख यूरोप के विश्वविधालयों में बहुत प्रचलित हो गए हैं और कई देशों के समाजशास्त्रियों एवं राजनीति शास्त्रियों के साथ अर्थशास्त्रियों ने भी बाबासाहेब के कार्यों पर अध्यन्न किया है।
तो आप भी सही ज्ञान लीजिए और, जैसे जीवन में रहने के लिए पत्थरों की मजबूत और सुरक्षित इमारत बनाते हैं वैसे ही आनेवाली पीढ़ी के लिए सही ज्ञान की सही, मजबूत और सशक्त इमारत खड़ी करें। - निखिल सबलानिया
डॉ भीमराव अम्बेडकर की लिखी पुस्तकें, भाषण, लेख व उनके जीवन और कार्यों पर 49 पुस्तकें ऑनलाईन आर्डर करें Ya Call Kare: 8527533051. Rs. 7000.
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