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कौन जीतेगा लोक सभा चुनाव और कैसे चुने सक्षम प्रतिनिधि
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कौन जीतेगा लोक सभा चुनाव और कैसे चुने सक्षम प्रतिनिधि
"कई खरबों रुपया प्रचार में फूंका जा रहा है। रुपया लगानेवाले जानते हैं कि इस तरह चुनावों का रुख किसी एक पार्टी या व्यक्ति की तरफ मोड़ा जा सकता है। सो जिस देश में आज तक स्कूली शिक्षा को सुधारा नहीं गया उसी देश में राजनितिक पार्टियों के प्रचार हाईटेक तरीके से और खरबों रुपयों से हो रहे हैं। यदि रुपया लगानेवालों की मंशा देश को बेहतर बनाने की होती तो आजतक शिक्षा पर रुपया लगाया होता।"
प्रिय मित्रों,
प्रिय मित्रों,
पिछले एक साल से कई राजनितिक पार्टियां नया प्रधानमन्त्री बनाने के नाम पर, तो किसी समूह विशेष को सम्बोधित करने के नाम पर, या एक दूसरे की कमियां निकालने के नाम पर अपना प्रचार चला रही है। कई खरबों रुपया प्रचार में फूंका जा रहा है। रुपया लगानेवाले जानते हैं कि इस तरह चुनावों का रुख किसी एक पार्टी या व्यक्ति की तरफ मोड़ा जा सकता है। सो जिस देश में आज तक स्कूली शिक्षा को सुधारा नहीं गया उसी देश में राजनितिक पार्टियों के प्रचार हाईटेक तरीके से और खरबों रुपयों से हो रहे हैं। यदि रुपया लगानेवालों की मंशा देश को बेहतर बनाने की होती तो आजतक शिक्षा पर रुपया लगाया होता। शिक्षा का बुरा हाल करके देश के लोगों को मानसिक कमजोर बनाया गया। एक मानसिक कमजोर व्यक्ति खुद कोई निर्णय लेने की क्षमता नहीं रखता। ऊपर से जो आज तक देश में रुपयों से सरकारें बनाते आए हैं उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को ऐसा नियंत्रित कर रखा है कि भले ही देश के रुपये की कीमत डूबे पर उनके उद्योग और धंधे ऊपर ही जा रहे हैं, भले ही देश में छोटे कारोबार खत्म हो जाए पर उनकी कम्पनियाँ मल्टी-नेशनल (बहुराष्ट्रीय) हो रही हैं और भले ही भारत निवेश के लिए विदेशियों का मुँह ताक रहा हो पर उनकी कम्पनियाँ हजारों करोड़ का विदेशों में निवेश कर रही हैं।
देश को कमजोर बनाने का षड़यंत्र, देश के आदमी और औरत को मूर्ख बनाने का षड़यंत्र, देश के बच्चों को अशिक्षित रखने का षड़यंत्र और देश को विदेशीयों का गुलाम बनाने का षड़यंत्र रचनेवालों के लिए ऐसी राजनैतिक पार्टियाँ किसी ऐसे हथियार के सामान है जो भारत के लोगों को अंदर से ही कमजोर कर रहा है। आज भारत में कहने को तो समाजवाद है पर समाज की चिंता किसी को नहीं है।
हो सकता है कि इन चुनावों में कोई एक राजनैतिक पक्ष जीत जाए पर उससे क्या होगा? क्या बुराई अच्छाई पर जीतेगी? क्या समाजवाद पूंजीवाद पर जीतेगा? क्या नैतिकता अनैतिकता पर जीतेगी? क्या एक राजनैतिक सक्षम कौम चुनावों में वोट देगी या कमजोर, भूखी, मानसिक कमजोर बना कर रखी गई कौम वोट देगी। असलियत तो यह है कि जो लोगों का शोषण करते आ रहे हैं वही मिडिया, धन, संगठन, धर्म व धन से कमजोरों के रुझान ऐसा कर देंगे कि वह अनजाने में ही शोषण करने वालों को चुन लेंगे।
काँग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बी.जे.पी.) यह दोनों ही ऐसी पार्टियों की श्रेणी में आती है। स्व्तंत्रता का नारा लगानेवाली काँग्रेस ने कई विदेशी कंपनियों को आज तक भारत से चलता नहीं किया और स्वदेशी का नारा लगाने वाली भारतीय जनता पार्टी ने तो सत्ता में आने के बाद विदेशी कंपनियों के लिए इस देश के रास्ते इतने खोल दिए कि देश देश न रह कर मात्र विदेशी कंपनियों का बाज़ार बन कर रह गया। इन दोनों पार्टियों ने शिक्षा की अनदेखी कितनी की इस बात का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि उच्च शिक्षा में भारत का स्थान आज बहुत नीचे हैं और थाईलेंड जैसे देशों का शिक्षा का बजट भारत से कहीं अधिक है।
आज जरुरत है किसी बहाव में न आ कर पिछले कई वर्षों की रिपोर्ट कार्ड देखने की। चीन हमसे दो साल बाद स्वतन्त्र हुआ और वह भी तहस-नहस होने के बाद। पर आज यह हाल है कि भारत चीन से ऐसे डरता है जैसे भेड़ शेर से। देश को इतना कमजोर किसने बनाया? चीन ने जहाँ उद्योगों का और मशीनरी का विकास किया वहीं भारत में घरेलू उद्योगों को ख़त्म करने की सजिय रच कर देश को कमजोर बनाया गया और मशीनीकरण को नकारा गया। गाँधी का चरखा दिखानेवाली काँग्रेस ने देश के अधिकांशतर लघु उद्योगों के खात्मे में सकारात्मक भूमिका निभाई और भारतीय जनता पार्टी ने भी चोर-चोर मौसेरे भाई वाली भूमिका निभा कर सत्ता में आने के बाद विदेशी सौदागरों को देश की संपत्ति लुटाने वाली सरकार चलाई।
इसिलए मेरी सबसे विनती है कि यह न देखें कि चुनावों में कौन जीतेगा या कौन हारेगा? यह न देखे कि कौन कितना अच्छा वक्ता है, यह न देखें कि कौनसी पार्टी कितनी बड़ी है, यह भी न देखें कि कौनसा उम्मीदवार किस पार्टी का है। बल्कि कोशिश करें कि गली, मोहल्ले या बिल्डिंंग के स्तर पर एक चुनावी कमेटी बनाएं। स्वयं चन्दा एकत्र करके एक दिन सब प्रत्याशियों के लिए रखें। किसी तीन मुद्दों में से एक पर उनको बोलने के लिए कहे और दस-पंद्रह मिनट का समय दे कर देखें कि वह बोल पाते हैं या नहीं। उनकी शिक्षा का स्तर भी देखे। कुछ प्रश्न भी पूछें। हो सके तो चुनाव आयोग की वेबसाईट https://www.eci.nic.in से अपने उम्मीदवारों के बारे में सूचना डाऊनलोड कर लें। और यदि आप ऐसा नहीं कर सकते तो भूल जाइए कि आप देश को आगे बढ़ा सकते हैं। यदि आप इतनी मेहनत नहीं करते तो मानिए कि आप आलसी है, दब्बू और भीरु हैं, आपमें अपना भविष्य सुधारने की क्षमता नहीं है व आप मानसिक और सामाजिक तौर पर पिछड़े हैं जो देश को और पिछड़ा बना देता है। आप सब धार्मिक जलसों के लिए चन्दा एकत्र करके कई कार्यक्रम करते हैं तो चुनाव में भी यह जिम्मेदारी लीजिए और ऐसे कार्यों को अंजाम दीजिए क्योंकि इसका सम्बन्ध सीधे-सीधे आपके और आपकी आनेवाली पीढ़ी के जीवन और भविष्य से जुड़ा है। यहाँ मैं एक बात स्पष्ट कर दूँ कि टेलिविज़न, रेडियों या अखबारों के माध्यम से अपना पक्ष कतई तैयार नहीं कीजियेगा। और न ही खुद को धार्मिक बहाव में बहने दीजियेगा। फर्ज करिए कि एक कंपनी अपनी चहेती पार्टी या उम्मीदवार को लाना चाहती है तो वह मीडिया में अपने प्रोडक्ट्स के विज्ञापन भर देगी जिससे कि मीडिया उस कंपनी के चहेते उम्मीदवार या पार्टी के पक्ष में ही खबरे देंगे। तो मीडिया से सावधान और स्वयं का जन मीडिया और जन मंच तैयार कीजिए।
प्रिया मित्रों, मैं नई दिल्ली लोक सभा से एक स्वतन्त्र उम्मीदवार के रूप में चुनावों में हिस्सा ले रहा हूँ। नई दिल्ली लोक सभा क्षेत्र में यह दस विधान सभा क्षेत्र आते हैं: करोल बाग, पटेल नगर, मोती नगर, राजेन्द्र नगर, नई दिल्ली, कस्तूरबा नगर, आर. के. पुरम, दिल्ली केंट और ग्रेटर कैलाश और यह मतदान क्षेत्र खिड़की एक्सटेंशन से पूर्वी पंजाबी बाग तक है। मुझे आपसे संवाद करना है और अपने विचार रखने हैं। मेरा उद्देश्य आपके वोट पाना नहीं बल्कि आपको शिक्षित करना है। मैंने अपने विचार कुछ रखे हैं जिससे कि आप जान सके कि मेरा पक्ष किस दिशा में भविष्य में जाएगा। इन चुनावों के बाद मैं नई पार्टी का गठन भी करूंगा जिसका उद्देश्य मात्र वोट पाना न हो कर सामाजिक और राजनैतिक चेतना लोगों में भरना होगा। यदि आपको मेरे विचार पसंद आएं तो इस लेख को अपने मित्रों के साथ साझा जरुर कीजियेगा। आप मुझे अपने क्षेत्र में भी बुला सकते हैं। मेरा मोबाईल नम्बर है :8527533051 निवास स्थान: गोल मार्किट, नई दिल्ली। इस फेसबुक पेज को लाईक करें https://www.facebook.com/ndloksabha
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