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हिन्दू योग गुरु बाबा रामदेव के 10 कारनामे Hindu Yoga Guru Baba Ramdev ke 10 Karmane
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हिन्दू योग गुरु बाबा रामदेव के 10 कारनामे Hindu Yoga Guru Baba Ramdev ke 10 Karmane
हिन्दू योग गुरु बाबा रामदेव के 10 कारनामे
1. बाबा के ट्रस्टों को कोई भी टैक्स नहीं देना पड़ता।
2. 2005 में न्यूनतम वेतन भी न मिलने की वजह से दिव्य फार्मेसी के मज़दूरों ने हड़ताल कर दी थी। जिन्हें बाद में फैक्टरी से निकाल दिया गया । इससे सहज ही अन्दाज़ा लगाया जा सकता है कि बाबा अपने उत्पादों की लागत को कितना कम कर पाने में सफल होता है।
3. बाबा स्वदेशी का जाप करते-करते अरबों रुपयों से विदेश में (विदेश में!) अमेरिका के ह्यूसटन में 100 एकड़ ज़मीन ख़रीद लेते हैं और स्कॉटलैण्ड में एक द्वीप! और अब स्वदेशी बाबा विदेशी अमेरिकी कम्पनी के साथ उत्पादन करने जा रहे हैं।
4.बाबा रामदेव ने अपने गुरु स्वामी शंकरदेव से यह लिखवा कि सम्पत्ति समउद्देश्य वाले किसी न्यास को हस्तान्तरित हो जायेगी। 2007 में इनके गुरु शंकरदेव रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हो गये
5. उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद 2004 मे कांग्रेस सरकार द्वारा बनाये भू-संशोधन कानून के अनुसार राज्य में बाहरी निवासी केवल 500 वर्ग मीटर भूमि ही ख़रीद सकते थे। पर तब तक बाबा रामदेव ने 800 बीघे से भी अधिक ज़मीन इकट्ठा कर ली थी। 2007 में उत्तराखण्ड में भाजपा सरकार आने के बाद बाहरी व्यक्ति को 250 वर्ग मीटर से अधिक ज़मीन बिना इजाज़त के नहीं मिलने का प्रावधान किया गया। पर यह नियम बाबा के लिए काम नहीं करता। 2008 के जुलाई महीने तक 2 शासनादेशों के ज़रिये बाबा रामदेव को 1700 बीघे ज़मीन ख़रीदने की इजाज़त मिली। यह ज़मीन किसानों से औने-पौने दामों में ख़रीदी गयी। इनमें से मुस्तफाबाद की 800 बीघा ज़मीन को बाबा ने औद्योगिक पार्क में बदलने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है। हरिद्वार में रियलस्टेट के एक दिग्गज के अनुसार औद्योगिक क्षेत्र घोषित होते ही बड़ा खेल शुरू होगा। तब यह भूमि गज के हिसाब से बिकेगी और वह भी ख़रीद मूल्य से कई गुना ज़्यादा कीमत में। यहाँ सहयोगी इकाइयाँ लगाने के लिए उद्योगों को बुलाया जायेगा। यानी माल बनाने वाले बाबा की शर्तों पर ज़मीन ख़रीद कर निवेश करेंगे और फिर बाबा उस माल को अपने ब्राण्ड से बेचेंगे।
6. हरिद्वार तहसील के औरंगाबाद गाँव के लोगों का आरोप है कि बाबा ने योग-ग्राम की आड़ में ग्राम समाज की लगभग 200 बीघा ज़मीन पर कब्ज़ा कर रखा है।
7. बाबा के चेलों ने रातोंरात भारी मशीनों की मदद से बाँध बनाकर रतमउ नदी का प्रवाह गाँव के खेतों की ओर कर दिया था जिसके कारण गाँव के ग़रीब किसानों की करीब 1500 बीघा भूमि बालू में बदल गयी।
8. इनके कारख़ानों में काम करने वाले मज़दूरों ने ही बताया कि रामदेव की फार्मेसी की दवाइयों में जानवरों व मानवों की हड्डियों की मिलावट की जाती है।
9. एक पुस्तक छापकर दावा किया कि च्यवनप्राश में पड़ने वाली जो दिव्य अष्ट वर्ग औषधियाँ विलुप्त हो गयी हैं उन्होंने उसे खोज लिया है। जबकि भारतीय वन अनुसन्धान संस्थान के गजेटियर में 60 के दशक में ही न केवल इन औषधियों का वर्णन है बल्कि उनके चित्र भी छपे हैं।
10. बाबा वंशवाद, परिवारवाद के बहुत बड़े विरोधी हैं। पर इनके तमाम ट्रस्टों इत्यादि के महत्त्वपूर्ण पदों पर बाबा रामदेव के परिवार के लोग काबिज़ हैं।
लेखक: प्रसेन पूरा लेख यहां पढ़े: http://ahwanmag.com/archives/1193
सम्पादन: निखिल सबलानिया www.cfmedia.in
Photo by https://www.facebook.com/profile.php?id=100008091821750&fref=photo
1. बाबा के ट्रस्टों को कोई भी टैक्स नहीं देना पड़ता।
2. 2005 में न्यूनतम वेतन भी न मिलने की वजह से दिव्य फार्मेसी के मज़दूरों ने हड़ताल कर दी थी। जिन्हें बाद में फैक्टरी से निकाल दिया गया । इससे सहज ही अन्दाज़ा लगाया जा सकता है कि बाबा अपने उत्पादों की लागत को कितना कम कर पाने में सफल होता है।
3. बाबा स्वदेशी का जाप करते-करते अरबों रुपयों से विदेश में (विदेश में!) अमेरिका के ह्यूसटन में 100 एकड़ ज़मीन ख़रीद लेते हैं और स्कॉटलैण्ड में एक द्वीप! और अब स्वदेशी बाबा विदेशी अमेरिकी कम्पनी के साथ उत्पादन करने जा रहे हैं।
4.बाबा रामदेव ने अपने गुरु स्वामी शंकरदेव से यह लिखवा कि सम्पत्ति समउद्देश्य वाले किसी न्यास को हस्तान्तरित हो जायेगी। 2007 में इनके गुरु शंकरदेव रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हो गये
5. उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद 2004 मे कांग्रेस सरकार द्वारा बनाये भू-संशोधन कानून के अनुसार राज्य में बाहरी निवासी केवल 500 वर्ग मीटर भूमि ही ख़रीद सकते थे। पर तब तक बाबा रामदेव ने 800 बीघे से भी अधिक ज़मीन इकट्ठा कर ली थी। 2007 में उत्तराखण्ड में भाजपा सरकार आने के बाद बाहरी व्यक्ति को 250 वर्ग मीटर से अधिक ज़मीन बिना इजाज़त के नहीं मिलने का प्रावधान किया गया। पर यह नियम बाबा के लिए काम नहीं करता। 2008 के जुलाई महीने तक 2 शासनादेशों के ज़रिये बाबा रामदेव को 1700 बीघे ज़मीन ख़रीदने की इजाज़त मिली। यह ज़मीन किसानों से औने-पौने दामों में ख़रीदी गयी। इनमें से मुस्तफाबाद की 800 बीघा ज़मीन को बाबा ने औद्योगिक पार्क में बदलने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है। हरिद्वार में रियलस्टेट के एक दिग्गज के अनुसार औद्योगिक क्षेत्र घोषित होते ही बड़ा खेल शुरू होगा। तब यह भूमि गज के हिसाब से बिकेगी और वह भी ख़रीद मूल्य से कई गुना ज़्यादा कीमत में। यहाँ सहयोगी इकाइयाँ लगाने के लिए उद्योगों को बुलाया जायेगा। यानी माल बनाने वाले बाबा की शर्तों पर ज़मीन ख़रीद कर निवेश करेंगे और फिर बाबा उस माल को अपने ब्राण्ड से बेचेंगे।
6. हरिद्वार तहसील के औरंगाबाद गाँव के लोगों का आरोप है कि बाबा ने योग-ग्राम की आड़ में ग्राम समाज की लगभग 200 बीघा ज़मीन पर कब्ज़ा कर रखा है।
7. बाबा के चेलों ने रातोंरात भारी मशीनों की मदद से बाँध बनाकर रतमउ नदी का प्रवाह गाँव के खेतों की ओर कर दिया था जिसके कारण गाँव के ग़रीब किसानों की करीब 1500 बीघा भूमि बालू में बदल गयी।
8. इनके कारख़ानों में काम करने वाले मज़दूरों ने ही बताया कि रामदेव की फार्मेसी की दवाइयों में जानवरों व मानवों की हड्डियों की मिलावट की जाती है।
9. एक पुस्तक छापकर दावा किया कि च्यवनप्राश में पड़ने वाली जो दिव्य अष्ट वर्ग औषधियाँ विलुप्त हो गयी हैं उन्होंने उसे खोज लिया है। जबकि भारतीय वन अनुसन्धान संस्थान के गजेटियर में 60 के दशक में ही न केवल इन औषधियों का वर्णन है बल्कि उनके चित्र भी छपे हैं।
10. बाबा वंशवाद, परिवारवाद के बहुत बड़े विरोधी हैं। पर इनके तमाम ट्रस्टों इत्यादि के महत्त्वपूर्ण पदों पर बाबा रामदेव के परिवार के लोग काबिज़ हैं।
लेखक: प्रसेन पूरा लेख यहां पढ़े: http://ahwanmag.com/archives/1193
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