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बाबा साहिब डॉ आंबेडकर बताते हैं कि शूद्र कोई वर्ण नहीं था
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बाबा साहिब डॉ आंबेडकर बताते हैं कि शूद्र कोई वर्ण नहीं था
डॉ आंबेडकर के उन विचारों पर ध्यान क्यों नहीं दिया जिनमें बाबा साहिब बताते हैं कि शूद्र कोई वर्ण नहीं था
जातिवाद का जनजा ढोनेवाले, जो आज तक खुद को किसी ऊँची जाती का मानते हैं और बाबा साहिब डॉ भीमराव आंबेडकर के उन विचारों को नकारते हैं जिनमें वह उनकी धज्जियां उड़ाते हैं, ऐसे जातिवादी मानसिकता वाले लोगों ने डॉ आंबेडकर के उन विचारों पर ध्यान क्यों नहीं दिया जिनमें बाबा साहिब बताते हैं कि शूद्र कोई वर्ण नहीं था और ऋग्वेद में भी कोई चौथा वर्ण नहीं है। जातिवादी मानसिकता वाला हिन्दू समाज का वह सड़ा-गला अंग जो आज भी खुद को ऊंचा मानता है वह क्यों नहीं कहता कि डॉ आंबेडकर ने स्वयं यह बताया है कि जिसे एक बड़ा शूद्र वर्ग बना दिया गया वह और कोई नहीं बल्कि सूर्यवंशी और चंद्रवंशी क्षत्रिय थे। डॉ आंबेडकर ने तो उन सड़े-गले हिन्दुओं को बता दिया था कि जिस गायत्री मन्त्र का उच्चारण वह करते हैं उसे स्वयं उन्हीं शूद्रों अर्थात क्षत्रियों के ऋषि विश्वामित्र ने लिखा था। भारत में जातिवाद पर कड़ी सजा होनी चाहिए। फांसी नहीं तो कम-से-कम उम्रकैद और ताउम्र मजदूरी करने की सजा होनी चाहिए। ऊँची जाती के नाम पर चल रहे सभी संगठनों को भंग कर देना चाहिए। अर्थ व्यवस्था को ठीक करना चाहिए कि जो काला धन पहले से ही देश में है उसे अपने कब्जे में करके देश के संस्थान खड़े करने चाहिए। जातिवाद पर वही करारा प्रहार करने की आवश्यकता है जिसे शिव के अनुयायी शिव का रूद्र रूप कहते हैं या भगवान बुद्ध का वह दिव्य चक्षु जो प्रलय ला सकता है। बहुत सी अटकलें पृथ्वी पर प्रलय की लगाई जाती है। पर जरुरत है जातिवाद की प्रलय लाने की।
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