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ग्रामीण छात्र को भाया डॉ भीमराव अम्बेडकर का सन्देश: कहा व्यवसायी बनूंगा
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ग्रामीण छात्र को भाया डॉ भीमराव अम्बेडकर का सन्देश: कहा व्यवसायी बनूंगा
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http://yourlisten.com/nikhil.sablania/RmNGQ1MTमुझे यह बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि रांची के आदिवासी क्षेत्र के एक छात्र ने हमारी व्यवसाय और निवेश की शिक्षा देने वाली सात पुस्तकों का सैट खरीदा। जो बात खुश करनेवाली है वह यह है कि उन्होंने डॉ भीमराव अम्बेडकर के उस सन्देश पर चलते हुए हमारी यह पुस्तकें खरीदी जिसमें कि डॉ अम्बेडकर ने कहा था कि मेरी दिलाई सुविधाएं आज हैं पर कल नहीं होंगी, इसके लिए हमें आत्मनिर्भर बनाने की जरुरत है। रांची के छात्र ने जब हमें फोन किया तो यह कहा कि वह डॉ अम्बेडकर की इस सोच पर चलना चाहते हैं। वह नौकरी के सहारे मुहताज न रह कर व्यवसायी बनाना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि वह अपने पैरों पर खड़े हों जिससे कि अपने परिवार और समाज को भी कुछ दे सकें। जब उन्होंने पहली बार मुझे फोन किया तो उनके पास पुस्तकों को खरीदने के पूरे पैसे भी नहीं थे। पर एक हफ्ते में उन्होंने और रूपये जोड़े और पुस्तकें खरीद लीं। उनकी यह सोच प्रशंसनीय है। इस सोच से न केवल उन्होंने मेरा ही उत्साहवर्धन किया बल्कि मुझे विशवास है कि वह एक दिन सफल व्यवसायी और फिर निवेशक भी जरूर बनेंगे। आनेवाले समय में मैं जिस तरह भी हो सका उनका मार्गदर्शन करता रहूंगा।
प्रिय मित्रों, आपमें से बहुत से लोग डॉ अम्बेडकर पुस्तकालय, बौद्ध फेडरेशन आदि कुछ-न-कुछ संस्था चलाते हैं। यदि आप अपनी संस्थान के लोगों तक भी यह विचार पहुंचाएं कि अब हमें आगे बढ़ते हुए केवल नौकरियाँ ही नहीं बल्कि व्यवसाय और निवेश की तरफ भी अपना रुख लेना चाहिए और डॉ अम्बेडकर के उस विचार को आगे बढ़ाना चाहिए जिसमें उन्होंने कहा था कि मेरी दिलाई सुविधाएं आज हैं पर कल नहीं होंगी और हमें आनेवाले समय के लिए आत्मनिर्भर बनना होगा, तो इससे समाज को एक नई राह मिलेगी। भारत में एक तरफ तो एक-दो प्रतिशत की जनसंख्या वाले ऐसे समुदाय जो व्यवसायों से जुड़े हैं वह आर्थिक रूप से इतने मजबूत हैं कि देश की सत्ता बदलने का दम-ख़म रखते हैं। और फिर दूसरी तरफ दलित, आदिवासी और पिछड़ा समाज है जो कि अपनी विशाल जनसंख्या होने पर भी आर्थिक रूप से पिछड़ा है। इसलिए जरूरत है आर्थिक रूप से उठने की। आर्थिक रूप से हम तब ही उठ सकते हैं जब तक कि हम व्यवसाय और निवेश में अपने पैर न जमा लें।
यह सच है कि हमारे पास न केवल धन की ही कमी है, बल्कि हमारे पास व्यवसाय और निवेश की कोई शिक्षा भी नहीं है। पिछले सत्तर सालों में हमारे पूर्वजों ने नौकरी को ही रोजी-रोटी का साधन बनाया और व्यवसाय व निवेश से और दूर हो गए। व्यवसाय और निवेश की शिक्षा के अभाव में जब हम इन क्षेत्रों में कदम रखते हैं तो अनुभवहीनता और व्यवसाय और निवेश की शिक्षा न होने के कारण असफल हो जाते हैं। अकसर यह कहा जाता है कि पैसे से ही पैसा बनता है। परन्तु यह बात पूरी तरह सही नहीं है। पैसा शिक्षा से भी बनता है। यदि किसी को वयवसाय और निवेश की सही शिक्षा मिल जाती है तो उसके प्रयास सही और सटीक होते हैं। ऐसे में उसे वह अनुभव प्राप्त होता है जो कि उसे आगे भी सफल बनाता है। व्यवसाय और निवेश की शिक्षा के अभाव में उसके प्रयास निरंतर असफल होते हैं और वह ऐसे अनुभव पाता है जिससे उसे निराशा हाथ लगती है। इसलिए अक्सर लोग वयवसाय में हाथ डालने से कतराते हैं या निवेश में असफल हो जाते हैं।
परन्तु हमने यह प्रण उठाया है कि हम आपको सही शिक्षा और मार्ग दें। हमने जो सात पुस्तकें आपके लिए चुनी हैं उनका मैं खुद दो सालों से अध्यन्न कर चुका हूँ और उनकी शिक्षा न केवल अपने काम धंधों में ही लगाता हूँ बल्कि और लोगों को भी आज व्यवसाय और निवेश सम्बन्धी शिक्षा देता हूँ। यह सात पुस्तकें अमरीका के उन लेखकों द्वारा लिखी गई हैं जो न केवल लेखक ही हैं बल्कि सफल व्यवसायी और अरबपति दौलतमंद भी हैं। यह सात पुस्तकें न्यूयार्क में सर्वाधिक बिकनेवाली पुस्तकों की श्रेणी (न्यूयार्क बेस्ट सेलर्स) में रह चुकी हैं। इनके प्रमुख लेखक का इस साल दिल्ली और बेंगलोर में सेमीनार था जिसमें पांच हजार रूपये की फीस देकर बहुत से लोगों ने यह शिक्षा ग्रहण की। मैंने भी ऐसे सेमीनार रखने का निश्चय किया है जिससे कि मैं आपसे रूबरू हो कर और अच्छे से यह शिक्षा दे सकूं और अपने अनुभव बता सकूं। सेमीनार के लिए आप मुझसे संपर्क कर सकते हैं। परन्तु तब तक आप यदि हमारी सात पुस्तकों का अध्यन्न कर लें तो आपको व्यवसाय और निवेश की शिक्षा आसानी से मिल जाएगी और आप जब भी कोई व्यवसाय या निवेश करेंगे तो यह शिक्षा पाने से आपके ज्ञान के चक्षु कुछ इस प्रकार खुल जाएंगे कि आप न केवल हार ही न मानेंगे बल्कि सफल भी रहेंगे।
हमारी सात पुस्तकें सरल हिंदी में लिखी हैं। आप न केवल इन्हें स्वयं ही पढ़ सकते हैं बल्कि उपहार के रूप में किसी को भेंट भी कर सकते हैं। किसी भी उम्र के कोई भी हो, सभी के लिए यह पुस्तकें हैं। व्यवसाय चाहे करें या न करें निवेश तो आपको किसी न किसी रूप में एक दिन करना ही पड़ेगा। कोई प्रॉपर्टी खरीदनी हो, किसी बैंक की स्कीम में रूपये लगाने हों या और किसी भी रूप में कैसे अपने रूपये को लगाना है या नहीं लगाना है, इसका निर्णय तो आपको कई बार लेना ही पड़ेगा। इसके लिए जरूरी है कि आप व्यवसाय और निवेश की शिक्षा पहले से ले लें।
आपको यदि डॉ अम्बेडकर के विचार और कार्यों को आगे बढ़ाना हैं तो आपको एक-न-एक दिन आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा। आप यदि बाबा साहिब अम्बेडकर के सच्चे अनुयायी हैं तो आपको एक-न-एक दिन नौकरी लेनेवाला नहीं बल्कि नौकरी देनेवाला बनाना पड़ेगा। जब भारत सरकार ने एक समुदाय के किसी भवन को क्षति पहुंचाई और फिर यह पेशकश रखी कि वह सरकारी खर्चे से क्षतिग्रस्त भवन को ठीक करवा देंगे तो उस समुदाय के लोगों ने सरकार की पेशकश ठुकरा दी और स्वयं ही अपने भवन को न केवल ठीक ही किया बल्कि और भवनों का भी निर्माण खुद के रुपयों से किया। ऐसा वे इसलिए कर पाए क्योंकि उस समुदाय के अधिकांश्तर लोग व्यवसाय और निवेश से जुड़े हैं। ऐसे ही आज आपको दलित, आदिवासी और पिछड़े समाज को अग्रसर करना है। आपको डॉ अम्बेडकर का कार्य पूरा करना है कि समाज को आगे बढ़ाना है। आपके पास ज्यादा समय नहीं है। आप भूल जाइए कि नौकरी जैसी कोई चीज़ है। आप निश्चय करें कि आप भी एक दिन अम्बानी या टाटा की तरह बड़े व्यवसायी और निवेशक बनेंगे। इस निश्चय के साथ कार्य करिए। आप सौ प्रतिशत नहीं तो पचास प्रतिशत तो सफल जरूर होंगे। उतनी सफलता भी एक बहुत बड़ी सफलता होगी।
इसी के साथ मैं अपना यह लेख यहीं रोकता हूँ और यह आशा करता हूँ कि आप न केवल यह पुस्तकें खरीद कर पढ़ेंगे और भेंट करेंगे बल्कि डॉ अम्बेडकर का यह सन्देश भी आगे बढ़ांएगे कि अब आपको आत्मनिर्भर बनना है। आपको पानी के बुलबुले नहीं बल्कि सुनामी की लहर बनना है। वह लहर जो शक्तिशाली होती है। वह लहर जिसके आगे कोई नहीं टिक पाता। आपको अपने निश्चय और कार्य में ऐसी लहर बनना है जो कि मजबूत हो और विशाल हो। तो बढ़िए आगे और व्यवसाय और निवेश की शिक्षा लेकर आप खुद को एक ऐसी ही सुनामी की लहर बनाईए। - जय भीम। - निखिल सबलानिया
व्यवसाय एवं निवेश सीखने वाली पुस्तकें आप नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके आर्डर करें अथवा फोन करें म. 8527533051. (Rs 2000, 7 Books).
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