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घर-घर डॉ भीमराव अम्बेडकर, हर घर डॉ भीमराव अम्बेडकर
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घर-घर डॉ भीमराव अम्बेडकर, हर घर डॉ भीमराव अम्बेडकर
डॉ अम्बेडकर की लेखनी आनेवाले मानव के लिए है। विदेशों में रह कर उनका अध्यन्न और फिर उनके लेखन व अन्य कार्य आनेवाले भारतीय के लिए हैं।
आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया कि हर घर में आपको क्या मिलता है? हर घर, दुकान, ऑफिस आदि में आपको भगवानों या धार्मिक स्थलों के चित्र अथवा मूर्तियां मिल जाती है और बहुत से स्थानों में लोग धार्मिक पुस्तकें भी रखते हैं। धर्म से हमें एक शांति मिलती है। परन्तु क्या केवल चित्र या मूर्ति लगाने अथवा पुस्तक रखने से ही बुद्धि का विकास हो जाता है ?
बुद्धि का विकास मात्र धर्म से नहीं होता। बुद्धि का विकास तब होता है जब किसी सही मार्गदर्शक से दिशा मिले। सही मार्गदर्शक कौन है? सही मार्गदर्शक वह है जिसने बहुत समय अध्यन्न किया हो और साथ-ही-साथ उस पर अमल करके और कार्य किए हों और जो भलाई की दृष्टि रखे।
जीवन का समय बहुत लंबा होता है। घड़ी-घड़ी हमें अपनी बुद्धि पर निर्णय लेने के लिए निर्भर रहना पड़ता है। ऐसे में यदि एक सही मार्गदाता का ज्ञान बुद्धि में लिया हो तो हमारे निर्णय भी अधिकांश्तर न केबल सही ही होते हैं बल्कि उनमें पैनापन आने के साथ-साथ नए विचारों को जन्म देना भी आ जाता है। और वह ऐसे नए विचार होते हैं जो कि ज्ञान के सही मार्ग से और सही अनुभव से आते हैं। इससे हमारे निर्णय सही होने से हमें जीवन में कठनाईयां काम होती है और हमें सफलता अधिक मिलने के साथ हमारी बुद्धि से और लोगों को भी बुद्धि बल प्राप्त होता है और सबकी जिंदगियां संवरती है।
बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर ही क्यों और उनकी क्या आवश्यकता? बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर दो बातों से अत्याधिक महत्वपूर्ण हैं। एक उनकी लेखनी से और दसरे उनके जीवन व कार्यों से। उनकी लेखनी क्यों महत्वपूर्ण है? हमारे जीवन पर बहुत सी बातों का प्रभाव पड़ता है जैसे कि हमारा शरीर, हमारा परिवार, हमारा समाज और हमारी राजनीती। यह सब मिल कर धर्म और अर्थव्यवस्था तैयार करते हैं। भारत का नागरिक आज भी एक कमजोर नागरिक है क्योंकि वह हर दृष्टि से विश्व के उन देशों के नागरिकों से कमजोर है जिन्होंने मानवता के सिद्धांत पर चल कर बुद्धिवादी सभ्यता का विकास किया और चंद वर्षों में उनकी सभ्यता मानव सभ्यताओं में सर्वश्रेष्ठ बन गयी। जैसे कि ब्रिटेन, जर्मनी, फ़्रांस और अमेरिका। परन्तु भारत के नागरिकों को वह सही बुद्धिबल नहीं मिल पाया जो कि उन्हें आनेवाले समय में वह उचित ज्ञान और मनोबल दे पाता जिससे कि वह अपनी सभ्यता को शीर्ष पर ले जा पाते। आज हमारी समस्याएँ बढ़ती ही जा रही हैं और हमें बुद्धिबल पर विकसित सभ्यताओं का मुुँह ताकना पड़ रहा है। परन्तु यदि हमने सही अध्यन्न किया होता तो हम भी आज बुद्धिबल और मनोबल से एक मजबूत राष्ट्र के नागरिक होते।
डॉ अम्बेडकर की लेखनी आनेवाले मानव के लिए है। विदेशों में रह कर उनका अध्यन्न और फिर उनके लेखन व अन्य कार्य आनेवाले भारतीय के लिए हैं। जैसे कि मैंने ऊपर लिखा कि किसी भी व्यक्ति पर उसके समाज और राजनीती का भी प्रभाव पड़ता है, तो यह उसके जीवन के वह आयाम है जो उसे जीवन के बाकी सुख प्रदान करते हैं। बौद्धिक और मनोबल से टूटे हुए भारतीय आज एक कमजोर नागरिक है। क्योंकि उन्हें सही शिक्षा नहीं मिलती जिससे कि वह अपने भविष्य को अच्छा बना सके। मात्र स्कूली अथवा कॉलेज शिक्षा पा लेना या अखबार पढ़ना अथवा टीवी देखना या रेडियो सुनना ही सामाजिक और राजनैतिक शिक्षा पाने के लिए काफी नहीं है, बल्कि यह सारे माध्यम अपने व्यावसायिक कारणों के कारण आपको सही की जगह गलत दिशा भी दे सकते हैं। सही दिशा मिलेगी उससे जिसने न केवल भविष्य के लिए सही अध्यन्न ही किया हो बल्कि जिसके कार्य भी मानव कल्याण के लिए हो और जो मानव के बेहतर जीवन के लिए हों। डॉ अम्बेडकर के अध्यन्न के तप से निकली उनकी लेखनी और मानव के कल्याण और एक मजबूत राष्ट्र के लिए किए गए उनके कार्यों का सही अध्यन्न और फिर उन पर मनन भारत के प्रत्येक नागरिक को वह उचित बुद्धिबल और मनोबल देता है जिससे की वह अपना विकास कर पाए।
तो इसके लिए जरुरत है कि हर घर डॉ अम्बेडकर की मात्र फोटो या मूर्ती ही नहीं लगे बल्कि हर घर, घर-घर डॉ अम्बेडकर की पुस्तकें हों और साथ ही उनका अध्यन्न भी किया जाए। मित्रों कंजूसी और संकोच नहीं करना। धन आज नहीं है तो पुस्तकों के लिए जोड़ना या किसी से ले कर पुस्तकें लेना। मैं आज यह बातें और ज्ञान आप तक पहुंचा रहा हूँ, कल कोई पहुंचाएगा या नहीं, इसका रिस्क नहीं लेना और स्वयं के लिए, हमारे भारत के समाज के लिए और हमारे भारत के लिए इन पुस्तकों का अध्यन्न अवश्य करें और पढ़े गए का मनन और पालन भी करें - निखिल सबलानिया (जय भीम, जय भारत)
डॉ भीमराव अम्बेडकर की लिखी पुस्तकें, भाषण, लेख व उनके जीवन और कार्यों पर 49 पुस्तकें ऑनलाईन आर्डर करें Ya Call Kare: 8527533051. Rs. 7000.
आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया कि हर घर में आपको क्या मिलता है? हर घर, दुकान, ऑफिस आदि में आपको भगवानों या धार्मिक स्थलों के चित्र अथवा मूर्तियां मिल जाती है और बहुत से स्थानों में लोग धार्मिक पुस्तकें भी रखते हैं। धर्म से हमें एक शांति मिलती है। परन्तु क्या केवल चित्र या मूर्ति लगाने अथवा पुस्तक रखने से ही बुद्धि का विकास हो जाता है ?
बुद्धि का विकास मात्र धर्म से नहीं होता। बुद्धि का विकास तब होता है जब किसी सही मार्गदर्शक से दिशा मिले। सही मार्गदर्शक कौन है? सही मार्गदर्शक वह है जिसने बहुत समय अध्यन्न किया हो और साथ-ही-साथ उस पर अमल करके और कार्य किए हों और जो भलाई की दृष्टि रखे।
जीवन का समय बहुत लंबा होता है। घड़ी-घड़ी हमें अपनी बुद्धि पर निर्णय लेने के लिए निर्भर रहना पड़ता है। ऐसे में यदि एक सही मार्गदाता का ज्ञान बुद्धि में लिया हो तो हमारे निर्णय भी अधिकांश्तर न केबल सही ही होते हैं बल्कि उनमें पैनापन आने के साथ-साथ नए विचारों को जन्म देना भी आ जाता है। और वह ऐसे नए विचार होते हैं जो कि ज्ञान के सही मार्ग से और सही अनुभव से आते हैं। इससे हमारे निर्णय सही होने से हमें जीवन में कठनाईयां काम होती है और हमें सफलता अधिक मिलने के साथ हमारी बुद्धि से और लोगों को भी बुद्धि बल प्राप्त होता है और सबकी जिंदगियां संवरती है।
बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर ही क्यों और उनकी क्या आवश्यकता? बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर दो बातों से अत्याधिक महत्वपूर्ण हैं। एक उनकी लेखनी से और दसरे उनके जीवन व कार्यों से। उनकी लेखनी क्यों महत्वपूर्ण है? हमारे जीवन पर बहुत सी बातों का प्रभाव पड़ता है जैसे कि हमारा शरीर, हमारा परिवार, हमारा समाज और हमारी राजनीती। यह सब मिल कर धर्म और अर्थव्यवस्था तैयार करते हैं। भारत का नागरिक आज भी एक कमजोर नागरिक है क्योंकि वह हर दृष्टि से विश्व के उन देशों के नागरिकों से कमजोर है जिन्होंने मानवता के सिद्धांत पर चल कर बुद्धिवादी सभ्यता का विकास किया और चंद वर्षों में उनकी सभ्यता मानव सभ्यताओं में सर्वश्रेष्ठ बन गयी। जैसे कि ब्रिटेन, जर्मनी, फ़्रांस और अमेरिका। परन्तु भारत के नागरिकों को वह सही बुद्धिबल नहीं मिल पाया जो कि उन्हें आनेवाले समय में वह उचित ज्ञान और मनोबल दे पाता जिससे कि वह अपनी सभ्यता को शीर्ष पर ले जा पाते। आज हमारी समस्याएँ बढ़ती ही जा रही हैं और हमें बुद्धिबल पर विकसित सभ्यताओं का मुुँह ताकना पड़ रहा है। परन्तु यदि हमने सही अध्यन्न किया होता तो हम भी आज बुद्धिबल और मनोबल से एक मजबूत राष्ट्र के नागरिक होते।
डॉ अम्बेडकर की लेखनी आनेवाले मानव के लिए है। विदेशों में रह कर उनका अध्यन्न और फिर उनके लेखन व अन्य कार्य आनेवाले भारतीय के लिए हैं। जैसे कि मैंने ऊपर लिखा कि किसी भी व्यक्ति पर उसके समाज और राजनीती का भी प्रभाव पड़ता है, तो यह उसके जीवन के वह आयाम है जो उसे जीवन के बाकी सुख प्रदान करते हैं। बौद्धिक और मनोबल से टूटे हुए भारतीय आज एक कमजोर नागरिक है। क्योंकि उन्हें सही शिक्षा नहीं मिलती जिससे कि वह अपने भविष्य को अच्छा बना सके। मात्र स्कूली अथवा कॉलेज शिक्षा पा लेना या अखबार पढ़ना अथवा टीवी देखना या रेडियो सुनना ही सामाजिक और राजनैतिक शिक्षा पाने के लिए काफी नहीं है, बल्कि यह सारे माध्यम अपने व्यावसायिक कारणों के कारण आपको सही की जगह गलत दिशा भी दे सकते हैं। सही दिशा मिलेगी उससे जिसने न केवल भविष्य के लिए सही अध्यन्न ही किया हो बल्कि जिसके कार्य भी मानव कल्याण के लिए हो और जो मानव के बेहतर जीवन के लिए हों। डॉ अम्बेडकर के अध्यन्न के तप से निकली उनकी लेखनी और मानव के कल्याण और एक मजबूत राष्ट्र के लिए किए गए उनके कार्यों का सही अध्यन्न और फिर उन पर मनन भारत के प्रत्येक नागरिक को वह उचित बुद्धिबल और मनोबल देता है जिससे की वह अपना विकास कर पाए।
तो इसके लिए जरुरत है कि हर घर डॉ अम्बेडकर की मात्र फोटो या मूर्ती ही नहीं लगे बल्कि हर घर, घर-घर डॉ अम्बेडकर की पुस्तकें हों और साथ ही उनका अध्यन्न भी किया जाए। मित्रों कंजूसी और संकोच नहीं करना। धन आज नहीं है तो पुस्तकों के लिए जोड़ना या किसी से ले कर पुस्तकें लेना। मैं आज यह बातें और ज्ञान आप तक पहुंचा रहा हूँ, कल कोई पहुंचाएगा या नहीं, इसका रिस्क नहीं लेना और स्वयं के लिए, हमारे भारत के समाज के लिए और हमारे भारत के लिए इन पुस्तकों का अध्यन्न अवश्य करें और पढ़े गए का मनन और पालन भी करें - निखिल सबलानिया (जय भीम, जय भारत)
डॉ भीमराव अम्बेडकर की लिखी पुस्तकें, भाषण, लेख व उनके जीवन और कार्यों पर 49 पुस्तकें ऑनलाईन आर्डर करें Ya Call Kare: 8527533051. Rs. 7000.
http://www.cfmedia.in/drambedkarki49pustake7000
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