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भारत में जातिवाद को जड़ से तब तक नहीं समाप्त किया जा सकता जब तक...
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भारत में जातिवाद को जड़ से तब तक नहीं समाप्त किया जा सकता जब तक...
शेखर बंधोपाध्याय द्वारा लिखित पुस्तक 'बंगाल की जाती तत्त्व का इतिहास' के अनुसार ई. स. 500-800 के पूर्व तक बंगाल में कोई जाती विभाजन नहीं था। सम्वंत ई. स. 500-800 के मध्य में वर्ण-व्यवस्था अस्तित्व में थी। सुरेन्द्र बंधोपाध्याय द्वारा लिखित पुस्तक 'जातिवर्ण प्रथा' में 500-800 काल के बाद के काल में सातस्ति/सातसत ब्रामण का परिचय मिलता है। (तो इस प्रकार पता चलता है कि ब्रामणवाद और जाती प्रथा का उदय एक ही काल में हुआ या कहे कि पहले ब्रामण जाती ब्राह्मणवाद के रूप में उभरी और फिर सारे भारत के समाज में जातिवाद का जहर फ़ैल गया।) - उपरोक्त कथन पुस्तक 'बाबासाहेब डॉ आंबेडकर और महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मंडल' पुस्तक से लिए गए है जो कि डॉ आंबेडकर और बंगाल में नेता जोगेन्द्रनाथ मंडल के संबंधों और बंगाल में जातिवाद की स्थिति पर आधारित है।
भारत में जातिवाद को जड़ से तब तक नहीं समाप्त किया जा सकता जब तक उसे समाप्त करने के सिद्धांतों का पूर्ण रूप से अध्यन्न और मनन नहीं किया गया हो। और उन सिद्धांतों को सिखाते हैं डॉ भीमराव आंबेडकर के लेख, उनके भाषण और उनका जीवन व उनके भविष्य के कार्य। तो आप यदि जातिवादी मानसिकता के नहीं है और जातिवाद को भारत से समाप्त करने के इच्छुक हैं तो एक बार डॉ आंबेडकर की पुस्तकों और उनके जीवन का अध्यन्न अवश्य करे। ज्ञान प्राप्ति के लिए और समाज को सही दिशा देने के लिए इन पुस्तकों को खरीदने में और इन्हे पढ़ने में जीवन का कुछ अंश धन व समय के रूप में लगाएं जिससे कि हमारे भारत का समाज एक समझदार समाज बने। हमें विश्व के सामाजिक रूप से मजबूत देशों का मूँह नहीं ताकना है बल्कि अपने भारत के समाज को स्वयं एक मजबूत समाज बनाना है और यह कार्य और कोई नहीं बल्कि हम स्वयं ही पूरा कर सकते है। पर सबसे पहले जरुरत है उसके लिए होम वर्क (Home Work) करने की, स्वयं को बौद्धिक रूप से तैयार करने की और उसके लिए अध्यन्न और मनन करने की। - जय भीम, जय भारत।
डॉ भीमराव अम्बेडकर की लिखी पुस्तकें, भाषण, लेख व उनके जीवन और कार्यों पर 49 पुस्तकें ऑनलाईन आर्डर करें Ya Call Kare: 8527533051. Rs. 7000.
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